नई दिल्ली. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट (नेट) जून 2012 से पूरी तरह से ऑब्जेक्टिव हो रहा है। यूजीसी के इस फैसले के बाद अब तीन चरणों में होनी वाली इस परीक्षा का अंतिम हिस्सा, जो विषय केन्द्रित होता है, भी बहुविकल्पीय होगा।
अभी तक 200 अंकों के इस हिस्से में छात्र के विषय ज्ञान को परखा जाता था लेकिन अब इसके लिए भी पहले दो हिस्सों की तरह ही बहुविकल्पीय प्रश्नों की मदद ली जाएगी। यूजीसी के इस निर्णय की पीछे की वजह उत्तर पुस्तिकाओं की जांच में लगने वाले अधिक समय को बताया गया है। हालांकि इस निर्णय के बाद परीक्षार्थियों की मुश्किलें और बढ़ने जा रही है क्योंकि नए बदलाव के तहत हर श्रेणी के तहत अंतिम प्रश्नपत्र में सफल होने के लिए 5 फीसदी अतिरिक्त अंक चाहिए होंगे।
यूजीसी की 482वीं बैठक में हुए इस निर्णय के तहत साफ किया गया है कि इस परीक्षा के नतीजों में होने वाली देरी को देखते हुए नेट मॉडरेशन कमेटी की तीसरे पेपर को खत्म कर सीएसआईआर नेट की तर्ज पर भी सभी तीनों प्रश्नपत्रों को ऑब्जेक्टिव बनाने की सिफारिश सही है।
इसलिए अब यूजीसी नेट का अंतिम प्रश्नपत्र भी ऑब्जेक्टिव होगा और आगामी जून 2012 की परीक्षा इसी आधार पर होगी। हालांकि कमीशन की ओर से लिए गए फैसले के तहत तमाम श्रेणियों में अंतिम परीक्षा के लिए जरूरी क्वालिफाइंग मार्क्स का प्रतिशत भी 5 फीसदी तक बढ़ा दिया गया है।
यानी सामान्य श्रेणी के तहत अभी तक तीसरे पेपर में जरूरी 90 यानी 45 फीसदी अंकों के स्थान पर अब 100 यानी 50 फीसदी अंक लाने होगे। इसी तरह ओबीसी श्रेणी के तहत अभी तक 80 अंक (40 फीसदी) के बजाय 90 (45 फीसदी) अंक और अनुसूचित जाति/ जनजाति/ शारीरिक रूप से विकलांग/ विजुअली हैंडीकेप श्रेणी के छात्रों को अब 70 (35 फीसदी) की बजाय अब 80 (40 फीसदी) अंक लाने होंगे।
कमीशन की बैठक में हुए फैसले के तहत यह भी साफ किया गया है कि परीक्षा के प्रारूप में हो रहे इस बदलाव के तहत परीक्षार्थियों के लिए एक क्वेशचन बैंक भी विकसित करने की भी सिफारिश की है। इतना ही नहीं कमीशन ने बैठक में यह फैसला भी किया है कि नेट की उपयोगिता व आवश्यकता पर पुनर्विचार होना चाहिए।
अभी तक 200 अंकों के इस हिस्से में छात्र के विषय ज्ञान को परखा जाता था लेकिन अब इसके लिए भी पहले दो हिस्सों की तरह ही बहुविकल्पीय प्रश्नों की मदद ली जाएगी। यूजीसी के इस निर्णय की पीछे की वजह उत्तर पुस्तिकाओं की जांच में लगने वाले अधिक समय को बताया गया है। हालांकि इस निर्णय के बाद परीक्षार्थियों की मुश्किलें और बढ़ने जा रही है क्योंकि नए बदलाव के तहत हर श्रेणी के तहत अंतिम प्रश्नपत्र में सफल होने के लिए 5 फीसदी अतिरिक्त अंक चाहिए होंगे।
यूजीसी की 482वीं बैठक में हुए इस निर्णय के तहत साफ किया गया है कि इस परीक्षा के नतीजों में होने वाली देरी को देखते हुए नेट मॉडरेशन कमेटी की तीसरे पेपर को खत्म कर सीएसआईआर नेट की तर्ज पर भी सभी तीनों प्रश्नपत्रों को ऑब्जेक्टिव बनाने की सिफारिश सही है।
इसलिए अब यूजीसी नेट का अंतिम प्रश्नपत्र भी ऑब्जेक्टिव होगा और आगामी जून 2012 की परीक्षा इसी आधार पर होगी। हालांकि कमीशन की ओर से लिए गए फैसले के तहत तमाम श्रेणियों में अंतिम परीक्षा के लिए जरूरी क्वालिफाइंग मार्क्स का प्रतिशत भी 5 फीसदी तक बढ़ा दिया गया है।
यानी सामान्य श्रेणी के तहत अभी तक तीसरे पेपर में जरूरी 90 यानी 45 फीसदी अंकों के स्थान पर अब 100 यानी 50 फीसदी अंक लाने होगे। इसी तरह ओबीसी श्रेणी के तहत अभी तक 80 अंक (40 फीसदी) के बजाय 90 (45 फीसदी) अंक और अनुसूचित जाति/ जनजाति/ शारीरिक रूप से विकलांग/ विजुअली हैंडीकेप श्रेणी के छात्रों को अब 70 (35 फीसदी) की बजाय अब 80 (40 फीसदी) अंक लाने होंगे।
कमीशन की बैठक में हुए फैसले के तहत यह भी साफ किया गया है कि परीक्षा के प्रारूप में हो रहे इस बदलाव के तहत परीक्षार्थियों के लिए एक क्वेशचन बैंक भी विकसित करने की भी सिफारिश की है। इतना ही नहीं कमीशन ने बैठक में यह फैसला भी किया है कि नेट की उपयोगिता व आवश्यकता पर पुनर्विचार होना चाहिए।
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